देहरादून: उत्तराखंड में आज से चारधाम यात्रा की शुरूआत होगी। नैनीताल हाईकोर्ट द्वारा चारधाम यात्रा पर लगी रोक हटा दी गई है, जिसके बाद राज्य सरकार चारधाम यात्रा की तैयारियों में जुट गई है। इसी कड़ी में राज्य सरकार ने चारधाम यात्रा से जुड़ी एसओपी जारी कर दी है। जारी एसओपी के अनुसार राज्य के बाहर से आने वाले पर्यटकों को स्मार्ट सिटी के पोर्टल पर पंजीकरण करवाना होगा। प्रदेश के लोगों को इसकी कोई जरुरत नहीं है। सभी तीर्थ यात्रियों द्वारा वैक्सीन की दोनों डोज लगाने के 15 दिन के बाद का प्रमाण पत्र दिखाना होगा, जिसके बाद ही यात्रा की अनुमति दी जाएगी। अगर वैक्सीन की पहली डोज या फिर कोई भी डोज नहीं लगाई गई है तो ऐसे में यात्रियों को 72 घंटे पुरानी टेस्ट की निगेटिव रिपोर्ट देनी होगी।
उत्तराखंड चार धाम देवस्थानम बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट के माध्यम से चार धाम मंदिर की यात्रा के दौरान दर्शन के लिए अनिवार्य यात्रा का ई पास दिया जाएगा। सभी यात्रियों को कोविड-19 प्रोटोकॉल और कोविड एप्रोप्रियेट बिहेवियर का पालन करना होगा। इसके साथ ही केरल, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश के यात्रियों को वैक्सीन की दोनों डोज के बाद भी निगेटिव रिपोर्ट दिखानी होगी, जिसके बाद ही उन्हें दर्शन का पास दिया जाएगा। किसी भी यात्री में राज्य के अंदर अगर किसी भी जगह पर जांच में संक्रमण के लक्षण या पर संक्रमण पाया जाना की पुष्टि होती है तो उसे वहीं से कोविड-19 अस्पताल में भर्ती किया जाएगा। यात्रा के लिए रोजाना दर्शन की लिमिट बनाई गई है। बदरीनाथ में 1000, केदारनाथ में 800, गंगोत्री धाम में 600 और यमुनोत्री धाम में 400 रोजाना यात्री ही एक दिन में दर्शन कर पाएंगे।
इन बातों का रखा गया है विशेष ध्यान-
केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री धाम में दर्शन के लिए आने वाले यात्रियों को पंजीकरण करवाना होगा। पंजीकरण के बाद ई-पास जारी किए जाएंगे, जिसके बाद ही चारधामों में दर्शन की अनुमति मिलेगी। मंदिर परिसर में प्रसाद चढ़ाने और तिलक लगाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। वहीं मंदिर में मूर्तियों और घंटियों को छूने, तप्त कुंडों में स्नान पर प्रतिबंध रहेगा। केदारनाथ धाम में एक समय में छह यात्री ही सभामंडप से दर्शन कर सकेंगे। इसके साथ ही गर्भगृह में जाने की अनुमति नहीं होगी। मंदिर परिसर में दिन में तीन बार सैनिटाइजेशन और साफ सफाई की जाएगी। मंदिरों में कोविड प्रोटोकाल का पालन कर मास्क पहनने, सोशल डिस्टेसिंग का पालन करना होगा। प्रत्येक धाम में स्वास्थ्य विभाग की ओर से नोडल अधिकारी तैनात किया जाएगा। एसओपी का पालन कराने की जिम्मेदारी जिला प्रशासन और एसडीएम की होगी।
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