नई दिल्ली : काबुल पर तालिबान के कब्जे के दो महीने बाद भारत अफगानिस्तान के भविष्य पर क्षेत्रीय शक्तियों को शामिल करने की योजना बना रहा है। भारत अगले महीने नवंबर में दिल्ली में अफगानिस्तान पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (एनएसए) की बैठक की मेजबानी करने जा रहा है। रूस और पाकिस्तान उन देशों में शामिल हैं, जिन्हें भारत ने अफगानिस्तान की स्थिति पर एनएसए की बैठक के लिए आमंत्रित किया है।

एक ओर जहां भारत ने रूस की राजधानी में मॉस्को प्रारूप वार्ता में भाग लेने के लिए एक निमंत्रण स्वीकार कर लिया है, वहीं दूसरी ओर भारत ने अफगानिस्तान पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) स्तर की बैठक बुलाने का निर्णय लिया है, जिसमें पाकिस्तान को भी आमंत्रित किया गया है। बता दें कि रूस वाली बैठक में तालिबान भी शामिल होगा।

टीओआई की खबर के मुताबिक, माना जा रहा है कि भारत ने अफगान मसले पर इस बैठक के लिए चीन, ईरान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान को भी आमंत्रित किया है। माना जा रहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय द्वारा आयोजित सम्मेलन की अध्यक्षता राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल करेंगे। इस बैठक में अफगानिस्तान में मानवीय संकट और मानवाधिकारों के मसले पर बातचीत होगी।

मीडिया रिपोर्ट की मानें तो पाकिस्तानी सूत्रों ने भी पुष्टि की है कि पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद यूसुफ को पिछले हफ्ते निमंत्रण मिला। अगर पाक एनएसए निमंत्रण स्वीकार करते हैं और भारत आते हैं तो यह मोईद युसूफ की भारत की पहली आधिकारिक यात्रा होगी। हालांकि, यह भी देखने वाली बात होगी कि तालिबान का शुरू से मददगार रहा पाकिस्तान इस बैठक में अपनी क्या भूमिका निभाता है।

हालांकि, तालिबान को भारत द्वारा नवंबर के दूसरे सप्ताह में प्रस्तावित सम्मेलन के लिए अभी तक आमंत्रित नहीं किया गया है। जबकि रूस ने 20 अक्टूबर को मास्को प्रारूप वार्ता के लिए तालिबान को आमंत्रित किया है, जिसमें भारत भी भाग लेगा। क्योंकि तालिबान को अबतक मान्यता नहीं मिली है और वहां समावेशी सरकार भी नहीं है, इस वजह से अभी भारत ने तालिबान को इस बातचीत में नहीं आमंत्रित किया है।

इधर, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने भी कहा है कि भारत को अफगानिस्तान पर मॉस्को फॉमेर्ट की बैठक का निमंत्रण मिला है। तालिबान ने भी वार्ता में अपनी भागीदारी की पुष्टि की है, जो इस्लामवादी समूह द्वारा 15 अगस्त को काबुल पर कब्जा करने के बाद पहली बार आयोजित की जा रही है। मॉस्को प्रारूप की स्थापना 2017 में रूस, अफगानिस्तान, भारत, ईरान, चीन और पाकिस्तान के विशेष दूतों के छह-पक्षीय परामर्श तंत्र के आधार पर की गई थी।

रूस अफगानिस्तान में नवीनतम घटनाओं पर चर्चा करने के लिए मास्को प्रारूप से पहले मंगलवार को ट्रोइका प्लस – रूस, अमेरिका, चीन और पाकिस्तान- की एक बैठक बुलाने की भी योजना बना रहा है। बता दें कि 15 अगस्त को तालिबान ने काबुल पर कब्जा किया था और इसके साथ ही 20 साल बाद उसकी अफगानिस्तान की सत्ता में वापसी हुई है।

इसे भी पढ़ेंकेरल में भारी बारिश से मची तबाही में 18 लोगों की मौत, सीएम ने सेना से मांगी मदद

Share this:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *