नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के गोधरा ट्रेन अग्निकांड के 8 दोषियों को जमानत दे दी है। इन सभी को गोधरा में ट्रेन की बोगी में आग लगाने का दोषी करार दिया गया है। जिन लोगों को जमानत दी गई है, वो सभी आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। इसी मामले में सजाएं पाए दूसरे दोषियों को जमानत या कोई राहत नहीं दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने गोधरा ट्रेन नरसंहार मामले में कुछ अभियुक्तों की अपील लंबित होने पर उन्हें जमानत दी है। जबकि कुछ अन्य लोगों को सुप्रीम कोर्ट ने किसी तरह की राहत देने से इनकार कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने 12 दोषियों की जमानत याचिकाओं पर विचार किया। जिनमें आठ को आजीवन कारावास की सजा दी जा चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा पाए 8 दोषियों को जमानत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने माना कि दोषी पहले ही 17-18 साल जेल में बिता चुके हैं और हाई कोर्ट जल्द ही कोई फैसला नहीं सुनाएगा। भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने हिंसक अपराधों के लिए दोषी ठहराए गए इन लोगों को जमानत देने का विरोध किया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने जमानत को मंजूरी दे दी।
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने कहा कि दोषियों की जमानत याचिकाओं के बैच से कुशलता से निपटने के लिए एक अंतर करने की जरूरत थी। पीठ ने कहा कि फिलहाल वह उन लोगों की जमानत याचिकाओं को खारिज कर रही है, जिन्हें ट्रायल कोर्ट ने पहले मौत की सजा दी थी और बाद में उनकी सजा घटाकर आजीवन कारावास में बदली गई। गौरतलब है कि 27 फरवरी, 2002 को गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 कोच में आग लगने से 59 लोगों की मौत हो गई थी। जिसके बाद पूरे राज्य में भयंकर दंगे भड़क उठे थे।
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