नई दिल्ली: कोरोना के इलाज के लिए लगातार प्लाज्मा की कमी महसूस की जा रही थी। हालांकि पहले से ही प्लाज्मा से कोरोना के इलाज पर संशय बना हुआ था। वहीं अब कोरोना का इलाज करने के लिए मरीजों को दी जा रही प्लाज्मा थैरेपी को ICMR ने क्लीनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल से हटा दिया है।

ICMR का मानना है कि दुनियाभर में मरीजों के इलाज के आंकड़े प्लाज्मा थैरेपी के कारगर होने को साबित नहीं करते। खास बात यह है कि सितंबर 2020 में ICMR ने अपनी स्टडी में कहा था कि प्लाज्मा थैरेपी कोरोना के इलाज में मददगार नहीं है। इसके बावजूद इसे भारत के क्लीनिकल प्रोटोकॉल से हटाने का फैसला लेने में 8 महीने का समय लग गया। बता दें कि नेशनल टास्क फोर्स की शुक्रवार को हुई बैठक में भी इस पर चर्चा हुई थी।

दरअसल, देश में कोरोना के बढ़ते मामलों के साथ प्लाज्मा डोनर की मांग में भी तेजी आई है। यहां तक ​​​​कि एक्सपर्ट्स भी कोरोना मरीजों के लिए प्लाज्मा थैरेपी की इफेक्टिवनेस पर चिंता जताते रहे हैं। पहले भी मेडिकल प्रोफेशनल्स ने प्लाज्मा थैरेपी को अप्रचलित करार दिया था। इन सबके बीच ICMR ने पिछले साल भी दावा किया था कि कोरोना से जुड़ी मौतों को कम करने में प्लाज्मा थैरेपी से कोई मदद नहीं मिली है। इसके बावजूद सोशल मीडिया पर प्लाज्मा डोनेट करने वालों को खूब तलाशा जा रहा है।

इसे भी पढ़ेंसांसद ने मऊ को दी 5 एम्बुलेंस की सौगात, घर-घर जाकर करेंगी टेस्टिंग

Share this:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *