अमेठी: गौरीगंज विधानसभा क्षेत्र से लगातार दूसरी बार विधायक चुने गए राकेश प्रताप सिंह ने रविवार को विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया। विधायक ने त्यागपत्र विधानसभा अध्यक्ष से मिलकर दिया। पद छोड़ने के बाद पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार विधायक लखनऊ जीपीओ पहुंचे और धरना शुरू कर दिया। विधायक अपने क्षेत्र की दो जर्जर सड़कों का पुर्ननिर्माण नहीं होने से नाराज हैं। विधायक ने इस संबंध में पिछले दो अक्तूबर को जिला प्रशासन को ज्ञापन देकर अंतिम चेतावनी दी थी। विधायक ने कहा था कि 31 अक्तूबर को पूर्वान्ह 11 बजे तक दोनों सड़कों का निर्माण शुरू नहीं हुआ तो वे अपने पद से इस्तीफा दे देंगे।
समाजवादी पार्टी के टिकट पर 2012 के विधानसभा चुनाव में राकेश प्रताप सिंह गौरीगंज विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए थे। पांच वर्ष बाद वर्ष 2017 में वे दोबारा सपा के टिकट पर विधानसभा पहुंचे। पहली बार विधायक बनने के बाद प्रदेश में सपा की सरकार होने का लाभ उठाते हुए राकेश प्रताप सिंह ने अपने क्षेत्र में सड़कों का जाल बिछाने के साथ विकास के तमाम कार्य कराए। 2017 में भाजपा के प्रदेश की सत्ता पर काबिज होने के बाद से उनके पहले कार्यकाल में बनी कई सड़कें जर्जर हो गईं। इन्हीं सड़कों में शामिल कादूनाला थौरी मार्ग (9.15 किलोमीटर) व मुसाफिरखाना-पारा मार्ग (5.650 किलोमीटर) भी अति जर्जर हालत में हैं।
इन दोनों सड़कों को दुरुस्त कराने के लिए विधायक ने गत दो अक्तूबर को डीएम अरुण कुमार को ज्ञापन देकर 31 अक्तूबर तक का समय दिया था। 31 अक्तूबर पूर्वान्ह 11 बजे तक दोनों जर्जर सड़कों के पुर्ननिर्माण का कार्य शुरू नहीं होने पर विधायक रविवार को लखनऊ में विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित से मिले और अपना इस्तीफा सौंप दिया। इस्तीफा देने के बाद विधायक समर्थकों के साथ जीपीओ पहुंचे और सरकार की कार्यप्रणाली के खिलाफ धरना शुरू कर दिया।
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