लखनऊ : पुलिस विभाग में 16 वर्ष की सेवा पूरी कर चुके कांस्टेबल अब दारोगा के समान वेतन पाएंगे। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के हजारों कांस्टेबलों को राहत देते हुए वर्ष 1998 या उसके पूर्व नियुक्त पुलिसकर्मियों को उनकी प्रशिक्षण अवधि की सेवा को जोड़ते हुए दारोगा को मिलने वाला द्वितीय प्रोन्नति वेतनमान ग्रेड पे रुपया 4200  देने को लेकर आठ सप्ताह में आदेश पारित करने का शासन को निर्देश दिया है।

प्रदेश के विभिन्न जिलों में तैनात कांस्टेबलों की ओर से दाखिल दर्जनों याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने दिया। कांस्टेबल रामदत्त शर्मा और सैकड़ों अन्य की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम और अतिप्रिया गौतम ने दलील दी कि हाईकोर्ट के पूर्व आदेशों और उसके बाद जारी कई शासनादेशों के बावजूद विभाग  उनके प्रशिक्षण अवधि की सेवा को द्वितीय प्रोन्नत वेतनमान देने के लिए नहीं जोड़ रहा है। जबकि वे इसके लिए पूरी तरह से हकदार हैं।

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याचिका दाखिल करने वाले सिपाहियों की नियुक्ति वर्ष 1998 में हुई थी। परन्तु उन्हें न तो द्वितीय वेतनमान दिया जा रहा था और न ही उनकी प्रशिक्षण अवधि को सेवा में जोड़ा जा रहा था। वरिष्ठ अधिवक्ता गौतम का कहना था कि प्रदेश सरकार द्वारा जारी शासनादेश 21 जुलाई 2011 के तहत वे सभी पुलिस कर्मी जिन्होंने विभाग में 16 वर्ष की सेवा पूरी कर ली है, उन्हें उनके  प्रशिक्षण अवधि की सेवा को जोड़ते हुए द्वितीय प्रोन्नति वेतनमान ग्रेड पे 4200 रुपये दारोगा को मिलने वाला वेतनमान दिया जाना चाहिए।

याचिका में कहा गया था कि लाल बाबू शुक्ला केस में हाईकोर्ट द्वारा प्रतिपादित विधि सिद्धांत के अनुसार याची सिपाहियों की प्रशिक्षण अवधि की सेवा को जोड़ा जाना चाहिए। कहा यह भी गया था कि अपर पुलिस महानिदेशक, मुख्यालय द्वारा 17 मार्च 2012 के शासनादेश में यह कहा गया है कि प्रदेश पुलिस के  कार्यकारी बल में आरक्षी पद का ग्रेड पे दो हजार, मुख्य आरक्षी का 2400, दारोगा का ग्रेड पे 4200 तथा इंस्पेक्टर का ग्रेड पे 4600 अनुमन्य है।

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कहा गया था कि सभी याचीगण 16 वर्ष की संतोष जनक सेवा पूरी कर चुके हैं। अत: वे दरोगा पद का ग्रेड पे 4200 रुपया प्रशिक्षण अवधि की सेवा को जोड़ते हुए पाने के हकदार हैं। कोर्ट ने उक्त आदेश के साथ याचिका को निस्तारित कर दिया है।

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