नई दिल्ली: कोरोना वायरस की दूसरी लहर के दौरान देश में कोरोना का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। वहीं इन सब के बीच पिछले कुछ दिनों से नदियों में शवों के मिलने का सिलसिला जारी है। वहीं नदियों में शव मिलने का मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। गुरुवार को इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर करते हुए इन मौतों की जांच की मांग की गई है।
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में इन मौतों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान या सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में विशेष जांच टीम गठित करने का आग्रह किया गया है। साथ ही केंद्र, उत्तर प्रदेश और बिहार के अधिकारियों को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि नदी में बहते पाए गए शवों का पोस्टमार्टम कराया जाए ताकि मौत के कारणों का पता चल सके।
वकील प्रदीप कुमार यादव और विशाल ठाकरे ने याचिका दायर करते हुए दावा किया है कि क्षत-विक्षत शवों की बरामदगी गंभीर चिंता का विषय है। क्योंकि नदी कई इलाकों के लिए जल स्रोत का काम करती है और अगर शव कोविड-19 से संक्रमित पाए गए तो यह गांवों तक फैल सकता है। वहीं याचिका में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश और बिहार की सरकारें अपनी जिम्मेदारी से भाग रही हैं।
सरकारें यह पता लगाने के बजाए कि किस तरह से इन शवों को नदी में फेंका गया, उनके बीच आरोप-प्रत्यारोप चल रहा है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान या सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एसआईटी का गठन करने की जरूरत है ताकि मौत की जांच की निगरानी की जा सके। याचिका में आरोप लगाया गया कि है कि गंगा नदी में करीब 100 शव बहते पाए गए जिनमें से 71 शव बिहार के बक्सर जिले में निकाले गए, जबकि उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में भी ऐसे शव पाए गए।
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