लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भ्रष्टाचारमुक्त व्यवस्था देने के लिए डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर तकनीक का प्रयोग करके बेसिक स्कूलों के 1.80 करोड़ छात्रों के अभिभावकों के खाते में 19.80 अरब रुपये भेजे हैं। अभिभावक इन बच्चों के लिए यूनीफार्म, जूते-मोजे खरीद सकेंगे। 60 लाख शेष बच्चों के खाते में भी जल्द पैसे ट्रांसफर किए जाएंगे। अब शिक्षकों को यह तय करना होगा कि बच्चे इन पैसों से यूनीफार्म, जूते-मोजे और बैग-बुक्स के साथ स्कूल आएं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जो बच्चे इसका पालन न करें उनके अभिभावकों से संपर्क करके व्यवस्था को मजबूत करने का काम करें। बेसिक स्कूलों के छात्रों को सामान्य शिष्टाचार व साफ-सफाई को भी सिखाया जाए, क्योंकि संस्कारहीन शिक्षा कभी भी राष्ट्रप्रेम और राष्ट्रद्रोह में अंतर नहीं कर पाएगी। प्रदेश में छह लाख से अधिक शिक्षक, अनुदेशक, शिक्षामित्र हैं, अगर यह जिम्मेदारी उठाएंगे तो यह सपना भी संभव हो सकता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने यह तय किया कि एक-एक विद्यालय को जनप्रतिनिधि गोद लें, जिससे बेसिक शिक्षा के छात्रों को स्वच्छ पेयजल समेत अन्य बुनियादी सुविधाएं मिल सकें। इसके तहत अभी तक बेसिक शिक्षा के एक लाख 60 विद्यालयों में से एक लाख 33 हजार विद्यालयों को इस योजना में शामिल किया जा चुका है, जिनमें खेल मैदान, बाउंड्री वाल का निर्माण हो चुका है। अभी तक साढ़े चार वर्षों में हर स्कूली बच्चे को दो यूनीफार्म, बैग-बुक्स सफलतापूर्वक उपलब्ध कराया गया। बेसिक शिक्षा में अध्ययन करने वाले बच्चों को जूते और मोजे भी दिए गए। बहुत सारे बच्चे भीषण ठंड में बिना स्वेटर के स्कूल आते थे, उन्हें स्वेटर उपलब्ध कराए गए।

इस व्यवस्था में कपड़ों की गुणवत्ता और समय पर सवाल खड़े होते थे। ऐसे में सरकार ने यह तय किया कि अभिभावकों को सीधे पैसा दिया जाए, जिससे वह अच्छे कपड़े और जूते मोजे खरीद सकें और शिक्षा विभाग पर जो भ्रष्टाचार का आरोप लगता है उससे भी बचा जा सके। ऐसे में 11 सौ रुपये एक करोड़ 80 लाख छात्र-छात्राओं के अभिभावकों के खाते में दी जा रही है। अभी लगभग 60 लाख बच्चे जो बचे हुए हैं उनके अभिभावकों के बैंक खातों की जांच कार्रवाई की जा रही है। जल्द ही उनके भी खाते में पैसा ट्रांसफर कर दिया जाएगा। यह खुशी की बात है कि जुलाई 2017 में एक करोड़ 30 लाख बच्चे स्कूल आ रहे थे। सरकार के प्रयास से 2020 के प्रारम्भ में यानी तीन वर्ष में ही एक करोड़ 81 लाख पहुंच गई।

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