मथुरा : पीएफआई (पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया) सदस्यों की सुनवाई अब लखनऊ विशेष न्यायाधीश एनआईए की अदालत में होगी। पिछले साल 7 अक्टूबर 2020 को जनपद के मांट टोल प्लाजा के पास पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के चार सदस्यों को पुलिस ने हाथरस जाते समय गिरफ्तार किया था, जिनके पास से कुछ संदिग्ध वस्तुएं बरामद की गई थीं, इन पर देशद्रोह का आरोप लगाया गया था। इस मामले की सुनवाई अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम अनिल कुमार पांडे की अदालत मथुरा में चल रही थी।

एसटीएफ ने अपने प्रार्थनापत्र में अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम के न्यायालय को अवगत कराया कि 20 अप्रैल 2021 की राजाज्ञा से सरकार ने एनआईए एक्ट की धारा 22 के तहत शक्तियों का प्रयोग कर विशेष न्यायालय का गठन कर दिया है। इसलिए मामले को उस न्यायालय में भेज दिया जाए। अभियुक्तों की ओर से एडवोकेट मधुवन दत्त चतुर्वेदी, एडवोकेट सैफान शेख, एडवोकेट मुकुल गौड़ और एडवोकेट फैसल की टीम ने बहस करते हुए इसका विरोध किया।

आरोपी पक्ष अधिवक्ता मधुवन दत्त चतुर्वेदी ने बताया कि नोएडा एसटीएफ की टीम ने जनपद के एडीजे प्रथम कोर्ट में पीएफआई मामले को लेकर प्रार्थना पत्र दिया था, जिसमें लिखा था पीएफआई केस मथुरा से लखनऊ ट्रांसफर कर दिया जाए। इस पर एडीजे प्रथम जज अनिल कुमार पांडेय ने पीएफआई केस को ट्रांसफर करने की अनुमति प्रदान कर दी। अगली सुनवाई 7 जनवरी को लखनऊ में होगी।

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बता दें कि पीएफआई के पांच सदस्य अतीकुर्रहमान, आलम, मसूद, पत्रकार सिद्दीकी कप्पन ओर छात्र विंग संगठन महासचिव रऊफ शरीफ, मथुरा जिला कारागार में बंद है, जबकि लखनऊ जिला कारागार में बंद पीएफआई के दो अन्य सदस्य फिरोज खान और अंसद बदरुद्दीन हैं। नोएडा एसटीएफ की जांच में पीएफआई सदस्य दानिश निवासी दिल्ली का नाम प्रकाश में आया था। दानिश पिछले कई महीनों से फरार चल रहा है। न्यायालय में उपस्थित होने के लिए एडीजे प्रथम कोर्ट ने दानिश के खिलाफ एनवीडब्ल्यू गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। दानिश की गिरफ्तारी पुलिस अभी तक नहीं कर पाई है।

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