नई दिल्ली: कावड़ यात्रा को लेकर गृह मंत्रालय ने एडवाइजरी जारी की है। यह एडवाजरी इंटेलिजेंस ब्यूरो की थ्रेट रिपोर्ट के आधार पर जारी हुई है। सूत्रों के मुताबिक कावड़ यात्रा के दौरान कट्टरपंथियों से खतरे का अंदेशा है। इसमें राज्य सरकारों से कहा गया है कि कावड़ यात्रा को लेकर किसी भी तरह के खतरे से निपटने के लिए ज्यादा से ज्यादा पुलिस बल तैनात किए जाए। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्यों को कावड़ यात्रा के दौरान कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के निर्देश केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिए हैं। रेलवे बोर्ड को भी ट्रेनों में खतरे को देखते हुए सुरक्षा बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं।

आपको बता दें कि 15 जुलाई से श्रावण माह शुरू होते ही देशभर में शिव भक्तों की कांवड़ यात्रा शुरू हो गई है। अलग-अलग राज्यों में कांवड़ यात्रा मार्ग पर कई सुविधाओं के साथ सुरक्षा इंतजाम भी पुख्ता किए गए हैं। इंटेलिजेंस ब्यूरो से मिले इनपुट के आधार पर गृह मंत्रालय ने कट्टरपंथी तत्वों से खतरे की आशंका जताते हुए राज्य सरकारों को कांवड़ियों की सुरक्षा कड़ी करने के निर्देश दिए हैं। श्रावण माह में भक्त पवित्र नदियों का जल कंधे पर रखे कांवड़ में लेकर भगवान शिव के विभिन्न मंदिरों तक पहुंचते हैं और उनका जलाभिषेक करते हैं।

गौरतलब है कि कोविड-19 महामारी के कारण 2 साल के अंतराल के बाद कांवड़ यात्रा हो रही है। अधिकारियों का अनुमान है कि करीब 1 पखवाड़े तक चलने वाली इस यात्रा के दौरान कम से कम 4 करोड़ कांवड़िए सिर्फ हरिद्वार और ऋषिकेश में पवित्र नदी का जल लेने पहुंचेंगे। उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और राजस्थान, मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों के कांवड़िए हरिद्वार और ऋषिकेश जाते हैं। इसके अलावा झारखंड के देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है, जहां श्रावण माह में भगवान शिव को जल चढ़ाने की परम्परा है। यहां करोड़ों की संख्या में शिवभक्त पहुंचते हैं।

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वाराणसी में काशी विश्वनाथ धाम भी श्रावण के महीने में शिव भक्तों का पसंदीदा तीर्थ स्थल है। गंगा के किनारे स्थित होने के कारण यहां जल लेने के लिए बहुत दूर भी नहीं जाना पड़ता है। इसके अलावा मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर, ओंकारेश्वर और गुजरात में सोमनाथ मंदिर में भी कांवड़ियों की जबरदस्त भीड़ उमड़ती है। ऐसे में किसी अनहोनी को टालने के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम बेहत जरूरी हो जाते हैं। तीर्थ स्थलों के अलावा ट्रेनों और बसों जैसे सार्वजनिक परिवहन के माध्यमों में भी कड़ी निगरानी रखनी जरूरी होती है।

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