श्रीहरिकोटा: भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने अपना पहला सूर्य मिशन आदित्य एल-1 लॉन्च करके इतिहास रच दिया है। सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र श्रीहरिकोटा से आदित्य एल1 को लॉन्च कर दिया गया है। यह मिशन सूरज के पास L1 प्वाइंट तक लगभग 4 महीने के बाद पहुंचेगा। इस मिशन के जरिए इसरो का लक्ष्य सूरज का अध्ययन करना है। इसीलिए इस मिशन के साथ कुल 7 पेलोड भेजे गए हैं, जो अलग-अलग डेटा इकट्ठा करके ISRO तक भेजते रहेंगे।
मिशन के पेलोड्स को भारत के कई संस्थानों ने मिलकर तैयार किए। आदित्य एल-1 को डीप स्पेस में यूरोपियन स्पेस एजेंसी (EAS) भी ग्राउंड सपोर्ट देगा। दरअसल गहरे अंतरिक्ष में अंतरिक्ष यान की सिग्नल काफी कमजोर हो जाती है, इसके लिए कई एजेंसियों की मदद लेनी होती है। यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने इससे पहले चंद्रयान-3 मिशन के दौरान भी इसरो को ग्राउंड सपोर्ट दिया था।
ईएसए के मुताबिक एजेंसी आदित्य-एल1 को सपोर्ट करेगी। ईएसए आदित्य एल-1 को 35 मीटर डीप स्पेस एंटिना से ग्राउंड सपोर्ट देगा जो यूरोप की कई जगहों पर स्थित है। इसके अलावा ‘कक्षा निर्धारण’ सॉफ़्टवेयर में भी यूरोपियन स्पेस एजेंसी की मदद ली जाएगी। एजेंसी के मुताबिक, “इस सॉफ़्टवेयर के ज़रिए अंतरिक्ष यान के वास्तविक स्थिति की सटीक जानकारी देने में मदद करता है।”
आदित्य-एल1 की ग्राउंड सपोर्ट में यूरोपियन स्पेस एजेंसी सबसे प्रमुख एजेंसी है। ईएसए ने कहा कि वे इस मिशन की लॉचिंग से लेकर मिशन के एल-1 प्वाइंट पर पहुंचने तक सपोर्ट देंगे। साथ ही अगले दो साल तक वे आदित्य एल 1 को कमांड भेजने में भी मदद करेंगे।
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