नई दिल्ली : यूपी में बुलडोजर की कार्रवाई के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से तीन दिन में जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा ए हिंद की ओर से दाखिल की गई याचिका पर गुरुवार को सुनवाई के दौरान शीर्ष कोर्ट ने कहा कि वह विध्वंस पर रोक नहीं लगा सकता है लेकिन कथित अनधिकृत संरचनाओं के विध्वंस के लिए कानून की प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए। मंगलवार को मामले में फिर सुनवाई होगी।

जस्टिस एएस बोपन्ना और विक्रम नाथ की अवकाश पीठ ने कहा कि नागरिकों में यह भावना होनी चाहिए कि देश में कानून का शासन है। सब कुछ निष्पक्ष होना चाहिए हम उम्मीद करते हैं कि अधिकारी कानून के तहत उचित प्रक्रिया का सख्ती से पालन करेंगे। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और कानपुर व प्रयागराज नागरिक अधिकारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि कानून की उचित प्रक्रिया का पालन किया गया था। अगस्त 2020 में विध्वंस के एक उदाहरण में नोटिस दिया गया था।

मेहता ने कहा कि प्रभावित पक्षों में से कोई भी अदालत के समक्ष नहीं है। एक मुस्लिम संगठन जमीयत उलमा-ए-हिंद ने अदालत का दरवाजा खटखटाया है। जमीयत उलमा-ए-हिंद की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सीयू सिंह, हुज़ेफ़ा अहमदी और नित्या रामकृष्णन ने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित सर्वोच्च संवैधानिक अधिकारियों द्वारा बयान दिए जा रहे हैं और कथित दंगा आरोपियों को अपने घर खाली करने के लिए बिना अवसर दिए विध्वंस किए जा रहे हैं।

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दरअसल याचिका मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा ए हिंद की ओर से दाखिल की गई है। याचिका में उत्तर प्रदेश सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देने की मांग की गई है कि राज्य में उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना कोई और निर्माण न गिराया जाए तथा इस तरह की कवायद पर्याप्त नोटिस देने के बाद ही की जाए।

याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस तरह के अवैध उपायों को अपनाना स्पष्ट रूप से प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है, खासकर उस सूरत में, जब शीर्ष अदालत वर्तमान मामले की सुनवाई कर रही हो। इसमें कहा गया है, ‘मौजूदा मामले में यह ध्यान देने योग्य है कि इस माननीय न्यायालय ने उत्तर-पश्चिमी दिल्ली में समान परिस्थितियों में एक दंडात्मक उपाय के तौर पर किए जा रहे विध्वंस पर रोक लगाने का आदेश दिया था। इसलिए, यह देखते हुए कि उपरोक्त मामला फिलहाल इस माननीय न्यायालय के समक्ष लंबित है, ऐसे उपायों पर अमल करना और भी खतरनाक है।’

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याचिका के अनुसार, ‘किसी भी तरह का विध्वंस अभियान स्पष्ट रूप से निर्धारित कानूनों के तहत और केवल इस न्यायालय द्वारा अनिवार्य रूप से प्रत्येक प्रभावित व्यक्ति को उचित नोटिस व सुनवाई का अवसर दिए जाने के बाद ही चलाया जाना चाहिए।’ कानपुर में तीन जून को हुई हिंसा का जिक्र करते हुए याचिका में कहा गया है, ‘उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश जारी करें कि कानपुर जिले में किसी भी आपराधिक मामले में किसी भी आरोपी की आवासीय या वाणिज्यिक संपत्ति के खिलाफ निर्धारित कानून के दायरे से बाहर कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाए।’

संगठन ने उत्तर प्रदेश सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देने की भी मांग की है कि किसी भी तरह का विध्वंस अभियान स्पष्ट रूप से निर्धारित कानूनों के अनुसार और प्रत्येक प्रभावित व्यक्ति को उचित नोटिस व सुनवाई का अवसर दिए जाने के बाद ही चलाया जाए।

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