गोरखपुर: योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री संजय निषाद को गिरफ्तारी से बड़ी राहत मिली है। गोरखपुर में दो अदालतों ने हिंसा के एक मामले में उत्तर प्रदेश के मत्स्य पालन मंत्री संजय निषाद के खिलाफ जारी वारंट रद्द कर दिए। संजय निषाद के वकील जी.पी. निषाद ने बताया कि मंत्री गोरखपुर में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत और सांसदों एवं विधायकों के खिलाफ मुकदमों की सुनवाई करने वाली एमपी-एमएलए अदालत के समक्ष पेश हुए, जिसके बाद दोनों अदालतों ने उनके खिलाफ जारी अलग-अलग वारंट निरस्त कर दिए। संजय निषाद को दोनों ही अदालतों से जमानत भी मिल गई।

अधिवक्ता जी.पी. निषाद ने कहा, ‘इससे पहले मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा संजय निषाद के खिलाफ जारी जमानती वारंट के बारे में उन्हें सूचना नहीं मिल सकी थी, इस वजह से वह अदालत में हाजिर नहीं हुए थे। इसी वजह से उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया था। दूसरा मामला रेलवे अदालत से जुड़ा था, जिसे बाद में सांसदों एवं विधायकों संबंधी मुकदमों की सुनवाई करने वाली अदालत में स्थानांतरित कर दिया गया। इस मामले में भी उनके खिलाफ वारंट जारी हुआ, लेकिन संजय निषाद खुद अदालत में हाजिर हो गए, जिसके बाद दोनों वारंट निरस्त कर दिए गए।’

अदालत से बाहर आते वक्त संजय निषाद ने कहा कि ‘सांसदों एवं विधायकों संबंधी मुकदमों की सुनवाई करने वाली अदालत वाले मामले को लेकर कुछ भ्रम पैदा हो गया था क्योंकि वह मामला पूर्व में रेलवे अदालत में था। मैं अपने समुदाय के अधिकारों की लड़ाई लड़ रहा हूं। यह बात कई लोगों को हजम नहीं हो रही है। इसी वजह से वह मेरे खिलाफ अफवाहें फैला रहे हैं।’

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गौरतलब है कि सात जून, 2015 को संजय निषाद और उनकी अगुआई वाली निषाद पार्टी के कार्यकर्ताओं ने सरकारी नौकरियों में निषाद समुदाय को पांच प्रतिशत आरक्षण देने की मांग को लेकर गोरखपुर के सहजनवा इलाके में धरना प्रदर्शन किया था। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने रेलवे पटरी पर यातायात बाधित किया था। विवाद बढ़ने पर पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा था, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। दोनों ओर से हुई हिंसा में 24 पुलिसकर्मी भी घायल हुए थे। इस मामले में संजय निषाद और अन्य के खिलाफ बलवा तथा आगजनी एवं कई अन्य आरोपों के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था।

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