नई दिल्ली: सालों से फरार चल रहे विजय माल्या के लिए अब मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। दरअसल, ब्रिटेन की अदालत ने सोमवार को विजय माल्या को दिवालिया घोषित करने के आदेश को मंजूरी दे दी। ऐसे में अब भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व में अन्य भारतीय बैंक विजय माल्या की संपत्ति पर आसानी से कब्जा कर सकेंगे। इन बैंकों ने अदालत में इस संबंध में याचिका दाखिल की थी।
बता दें कि वर्चुअल माध्यम से हुई सुनवाई में हाईकोर्ट के चांसरी डिवीजन के मुख्य दिवाला और कंपनी न्यायालय के न्यायाधीश माइकल ब्रिग्स ने अपने फैसले में कहा कि मैं माल्या को दिवालिया घोषित करता हूं। कानूनी फर्म टीएलटी एलएलपी और बैरिस्टर मार्सिया शेकरडेमियन ने सुनवाई के दौरान भारतीय बैंकों की ओर से पैरवी की थी। 65 वर्षीय व्यवसायी माल्या इस बीच ब्रिटेन में जमानत पर ही रहेंगे, जब तक कि उनके प्रत्यर्पण से संबंधित कानूनी कार्यवाही पूरी नहीं हो जाती है। वहीं इस दौरान माल्या के वकील फिलिप मार्शल ने भारतीय अदालतों में कानूनी चुनौतियां जारी रहने तक आदेश को स्थगित करने की मांग की।
हालांकि, उनके इन अनुरोधों को न्यायाधीश ने ठुकरा दिया। न्यायाधीश ने अपने निष्कर्ष में कहा कि इस बात के ‘अपर्याप्त सबूत’ थे कि ऋण याचिकाकर्ताओं को उचित समय के भीतर पूरी तरह से वापस कर दिया जाएगा। दिवालिया के आदेश के खिलाफ अपील करने की अनुमति मांगने के लिए भी एक आवेदन प्रस्तुत किया गया था, जिसे न्यायाधीश ब्रिग्स ने यह कहकर अस्वीकार कर दिया, कि इस अपील की ‘वास्तविकता में सफलता की संभावना’ नहीं थी।
इन बैंकों ने दायर की थी याचिका
एसबीआई के नेतृत्व में बैंक ऑफ बड़ौदा, कॉर्पोरेशन बैंक, फेडरल बैंक लिमिटेड, आईडीबीआई बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, जम्मू और कश्मीर बैंक, पंजाब एंड सिंध बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, स्टेट बैंक मैसूर, यूको बैंक, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया और जेएम फाइनेंशियल एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी प्राइवेट लिमिटेड सहित 13 भारतीय बैंकों का संघ इस मामले में याचिकाकर्ता था।
वहीं माल्या की कानूनी टीम ने तर्क दिया है कि कर्ज विवादित बना हुआ है और भारत में चल रही कार्यवाही ब्रिटेन में दिवालिया होने के आदेश को बाधित करती है। ऋण के विचाराधीन मामले में 25 जून 2013 से मूलधन और ब्याज, साथ ही 11.5 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से चक्रवृद्धि ब्याज शामिल है। माल्या ने भारत में चक्रवृद्धि ब्याज शुल्क के संबंध में एक आवेदन भी किया है
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