पटना : गांधी मैदान में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री पद के एनडीए उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की ‘हुंकार रैली के दौरान हुए सीरियल ब्लास्ट के मामले में चार आतंकियों को फांसी सुनाई गई है। 27 अक्टूबर 2013 को हुए सीरियल ब्लास्ट के मामले में चार आतंकियों को फांसी तथा दो को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। अदालत ने घटना को ‘रेयरेस्ट ऑफ द रेयर’ मानते हुए आतंकियों को प्राण निकलने तक फांसी पर लटकाए रखने को कहा है। सीरियल ब्लास्ट की घटना के ठीक आठ साल बाद 27 अक्टूबर 2021 को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) कोर्ट के विशेष न्यायाधीश गुरविंदर सिंह मल्होत्रा की अदालत ने इस मामले में नौ आतंकियों को दोषी करार दिया व एक को रिहा कर दिया था। सजा के बिंदु पर 1 नवंबर को सुनवाई की गई।
अदालत ने 15 मिनट में एक-एक कर दिए गए अपने फैसले में साजिश के मास्टरमाइंड हैदर अली उर्फ ब्लैक ब्यूटी व नुमान अंसारी, इम्तियाज अंसारी तथा मुजीबुल्लाह अंसारी को फांसी की सजा सुनाई। उमर सिद्दीकी व अजहरुद्दीन कुरैशी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई जबकि अहमद हुसैन व फिरोज आलम को दस-दस साल तथा इफ्तिखार आलम को सात वर्ष की कैद की सजा सुनाई। सभी दोषियों पर अर्थदंड भी लगाया गया है। अदालत ने यह भी कहा है कि कोई भी आतंकी 30 दिनों के अंदर इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील कर सकता है अन्यथा दी गई सजा पर अमल किया जाएगा।
आरोपियों में से पांच झारखंड के, दो छत्तीसगढ़ के तथा दो उत्तर प्रदेश के निवासी हैं। ये सभी प्रतिबंधित संगठन सिमी (आईएम) के सदस्य थे। इन सभी ने बोधगया में सिलेंडर बम से विस्फोट किया था। हालांकि उस विस्फोट में किसी की जान का नुकसान नहीं हुआ था। इस कांड में एक नाबालिग समेत 12 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई थी। सुनवाई के दौरान एक आरोपी की मौत हो गई जबकि नाबालिग को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने पहले ही तीन साल की सजा सुना दी थी। फकरुद्दीन नामक एक आरोपी को कोर्ट ने रिहा करने का निर्देश दिया था।
सीरियल ब्लास्ट की इस घटना में छह लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 89 अन्य घायल हो गए थे। इस कांड की जांच का जिम्मा एनआइए को 31 अक्टूबर 2013 को दिया गया था तथा दिल्ली के एनआइए थाने में एफआइआर 1 नवंबर 2013 को दर्ज की गई थी। पटना के एनआइए कोर्ट में 6 अक्टूबर 2021 को इस कांड की सुनवाई पूरी हुई। 27 अक्टूबर को विशेष अदालत ने नौ आरोपियों को दोषी करार दिया। पटना में 20 बम प्लांट किए गए थे, जिनमें अकेले गांधी मैदान में 18 बम रखे गए थे। यहां पांच बम विस्फोट हुए जबकि पटना स्टेशन के शौचालय में दो बम फटे। 13 को विस्फोट से पहले बरामद कर लिया गया। आतंकियों का उद्देश्य हर पांच मिनट पर एक विस्फोट करना था। पटना जंक्शन के प्लेटफार्म संख्या 10 के शौचालय में तीसरा बम प्लांट करने के दौरान ही फट गया था। विस्फोट से तारिक नाम का आतंकी बुरी तरह घायल हो गया जिसकी बाद में मौत हो गई।