लखनऊ: हमेशा की तरह इस बार भी विधानसभा चुनाव में कई बाहुबलियों ने अपना भाग्य आजमाया। कई बाहुबली तो जेल से ही चुनाव मैदान में उतरे कई ने अपने बेटे को राजनीतिक विरासत सौंपी। इनमें मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी और ब्रजेश सिंह मुख्य रहे।
कुंडा से 6 बार विधायक रहे रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी गुलशन यादव को हरा दिया है। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने चुनावी जनसभा में कहा था कि इस बार कुंडा में कुंडी लगेगी। इस बयान पर पलटवार कसते हुए राजा भैया ने कहा था कि किसी माई के लाल की हिम्मत नहीं जो कुंडा में कुंडी लगा सके।
वहीं जेल में बंद पूर्वांचल के सबसे बड़े माफिया डॉन मुख्तार अंसारी ने अपनी राजनीतिक विरासत अपने बेटे अब्बास को सौंपी तो मऊ सीट से उन्होंने सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी से चुनाव लड़ा। मुख्तार के बेटे अब्बास ने भाजपा के अशोक कुमार सिंह को हराकर जीत हासिल की है।
इसे भी पढ़ें– पूर्वांचल में सपा उभरी, भाजपा को लगा झटका
इसके साथ ही आज़मगढ़ की फूलपुर पवई सीट से रमाकांत यादव ने बीजेपी के राम सूरत को हरा जीत दर्ज की। 2017 के चुनाव में फूलपुर पवई सीट पर रमाकांत यादव के बेटे ने बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीता था। इसी तरह चंदौली की सैयदराजा सीट पर से ब्रजेश सिंह के भतीजे सुनील सिंह ने जीत दर्ज की है। उन्होंने सपा के प्रत्याशी मनोज सिंह को हराया है।
यूपी की हॉट सीटों में से एक गोसाईगंज सीट पर जबरदस्त मुकाबला देखने को मिला है। इस सीट पर एक तरफ थे सपा प्रत्याशी बाहुबली अभय सिंह तो दूसरी ओर एक और बाहुबली खब्बू तिवारी की पत्नी आरती तिवारी आमने सामने थीं। आरती बीजेपी की प्रत्याशी थी। टक्कर कांटे की थी लेकिन जीत अभय सिंह ने जीत हासिल की है।
इसे भी पढ़ें – यूपी में सामने आए नतीजे, जानें किसे मिली कितनी सीट
पूर्वांचल के एक और माफिया डॉन व बाहुबली धनंजय सिंह अपनी हार का सिलसिला नहीं रोक पाए है। इस चुनाव में भी उन्हें हार नसीब हुई है। उन्हें मल्हनी सीट से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी लकी यादव ने हरा दिया। धनंजय सिंह ने चुनाव लड़ने के लिए कई दांव पेंच चले, फिर भी जीत नहीं पाए। लखनऊ के एक मर्डर केस में वांछित होने से लेकर क्लीन चिट मिलने तक धनंजय काफी चर्चा में भी रहे।
इसी तरही ज्ञानपुर सीट से बाहुबली विजय मिश्रा को पराजय मिली है। विजय मिश्रा को निषाद पार्टी के विपुल दुबे ने भारी मतों से हरा दिया है। विजय ने चुनाव जेल के अंदर से लड़ा था।