वाराणसी: श्रृंगार गौरी ज्ञानवापी मामले में एक बार फिर से आज से सुनवाई शुरू होने जा रही है। 30 मई को जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने ज्ञानवापी प्रकरण में 7/11 के तहत चल रही सुनवाई को आगे जारी रखते हुए गर्मी की छुट्टियों की वजह से इस पर 4 जुलाई को सुनवाई पुनः शुरू करने का आदेश जारी किया था। इसके बाद आज सुबह लगभग 11 बजे से पुनः इस मामले की सुनवाई शुरू होगी।
आज हिंदू पक्ष द्वारा वीडियो लीक होने के मामले को भी जिला जज के समक्ष उठाया जाएगा। इस बारे में हिंदू पक्ष के वकील सुभाष नन्दन चतुर्वेदी ने बताया कि हम लोग सर्वे के वीडियो वायरल होने के मामले को अदालत के समक्ष रखेंगे और आपत्ति दर्ज कराएंगे। उन्होंने बताया कि 4 जुलाई को दोपहर 2 बजे से जिला जज अजय कुमार की अदालत में सुनवाई होगी।
इस प्रकरण में मामला दाखिल करने वाली राखी सिंह और जितेंद्र सिंह विशेष के पूरे लीगल मामले देख रहे वकील हरि शंकर जैन और विष्णु जैन को इस मामले से जितेन सिंह बिसेन ने बाहर कर दिया है। इसके अलावा ज्ञानवापी से संबंधित जिला न्यायालय में विचाराधीन विश्व वैदिक सनातन संघ के सभी मुकदमों (राखी सिंह बनाम राज्य सरकार एवं अन्य मामले) में से पुराने वकालतनामे निरस्त किए जाएंगे। अब इन सभी मुकदमों को अधिवक्ता मान बहादुर सिंह, अधिवक्ता अनुपम द्विवेदी एवं अधिवक्ता शिवम गौड़ को मामले में लीगल कार्रवाई आगे बढ़ाने से संबंधित जानकारी दी है।
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दरअसल, श्रृंगार गौरी में नियमित दर्शन करने को लेकर दायर की गई 2021 की याचिका पर सुनवाई करते हुए सीनियर जज सिविल डिवीजन रवि कुमार दिवाकर ने 8 अप्रैल को इस मामले में वकील कमिश्नर नियुक्त करते हुए मामले की कमीशन कार्यवाही का आदेश दिया था। चार दिनों तक ज्ञानवापी का वीडियो सर्वेक्षण करने के बाद कमीशन ने अपनी रिपोर्ट कोर्ट में सबमिट की थी। इसके बाद एक नया विवाद शुरू हो गया था। ज्ञानवापी मस्जिद की देख-रेख करने वाली अंजुमन इनतजामिया मस्जिद कमेटी की तरफ से मामले को सुनवाई योग्य न मानते हुए कोर्ट में याचिका दायर की गई। इस पर कोर्ट 7/11 के तहत मुस्लिम पक्ष को अभी सुन रहा है, इसी पर सोमवार को सुनवाई आगे बढ़ेगी।
इस मामले में बीती 30 मई को न्यायालय की तरफ से ग्रीष्मकालीन अवकाश की वजह से 4 जुलाई को पुनः 7/11 के तहत सुनवाई को आगे बढ़ाने के आदेश दिए गए थे। 30 मई को सुनवाई के दौरान वादी पक्ष की ओर से दाखिल वाद के 52 बिदुओं में से मस्जिद पक्ष के वकील अभयनाथ यादव 36 बिदुओं तक ही अपनी बात रख सके थे। इसके बाद अदालत ने मुकदमे की सुनवाई की अगली तारीख चार जुलाई तय कर दी थी। दरअसल इसके पहले इस प्रकरण की सुनवाई सीनियर जज सिविल डिवीजन रवि कुमार दिवाकर के न्यायालय में चल रही थी। लेकिन, इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई मुस्लिम पक्ष की याचिका पर कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए 20 मई को सीनियर जज की अदालत में सुनवाई को आगे बढ़ाने का निर्देश दिया था।
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पूरा मामला जिला जज अजय कुमार विश्वेश की अदालत में ट्रांसफर हो गया था और 23 मई से जिला जज की अदालत में इस प्रकरण की सुनवाई जारी है। नागरिक प्रक्रिया संहिता के आदेश 7/11 के तहत मुकदमा सुनने योग्य है या नहीं इस पर पहले सुनवाई हो रही है। सुप्रीम कोर्ट ने वादी पक्ष के मुकदमे की योग्यता पर सवाल उठाने वाली प्रतिवादी पक्ष की दाखिल अर्जी पर प्राथमिकता के आधार पर सुनवाई करने का जिला जज को आदेश दिया है।
प्रकरण में 18 अगस्त 2021 को नई दिल्ली की रहने वाली राखी सिंह एवं बनारस की चार महिलाओं लक्ष्मी देवी, रेखा पाठक, मंजू व्यास और सीता साहू ने ज्ञानवापी परिसर स्थित मां श्रृंगार गौरी की प्रतिदिन पूजा-अर्चना करने एवं परिसर स्थित अन्य देवी-देवताओं के विग्रहों को सुरक्षित रखने की मांग करते हुए सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर की अदालत में मुकदमा दायर किया था। वादी पक्ष की अपील पर सुनवाई करते हुए अदालत ने मौके की वस्तुस्थिति जानने के लिए वकील कमिश्नर नियुक्त करने का आदेश जारी कर दिया था।
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इस आदेश के खिलाफ अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद की ओर से दायर याचिका को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था। हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ प्रतिवादी पक्ष के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की और पूजा स्थल अधिनियम 1991 के उपबंधों का हवाला देते हुए ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में पूजा-अर्चना का अधिकार मांगने वाली महिलाओं की याचिका पर सवाल उठाया। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि धार्मिक स्थल के स्वरूप का पता लगाना कानून में प्रतिबंधित नहीं है। पूजा स्थल (विशेष प्रविधान) कानून 1991 किसी धार्मिक स्थल के धार्मिक स्वरूप को पता लगाने पर रोक नहीं लगाता।
वैदिक सनातन संघ की अंतरराष्ट्रीय महामंत्री किरण सिंह की ओर से ज्ञानवापी में दैनिक पूजन-अर्चन की अनुमति को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई के लिए सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट ने आठ जुलाई की तिथि तय की है। इस मुकदमे में प्रतिवादी पक्ष ने मुकदमे की नकल की मांग की है। वहीं, सपा प्रमुख अखिलेश यादव, चर्चित सांसद असदुद्दीन ओवैसी और अन्य के दिए गए बयान से हिंदू समाज की भावना आहत होने को लेकर अदालत में लंबित प्रार्थना पत्र पर सुनवाई पांच जुलाई को होगी।