लखनऊ: प्रदेश के मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए होने वाली NEET-2021 परीक्षा में शामिल हुए बगैर आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथ कालेजों में दाखिला लेने वाले सभी 891 छात्रों पर बड़ा एक्शन लिया गया है। इन छात्रों को सस्पेंड कर दिया गया है। इस सम्बन्ध में कॉलेजों में नोटिस लगा दी गई है।
इस मामले में योगी सरकार ने सोमवार को ही सीबीआई जांच की संस्तुति की है। वहीं कई वरिष्ठ अफसरों पर निलम्बन की गाज गिरी है। सरकार के कड़े रुख के बाद मामले से जुड़े सभी लोगों के बीच हड़कम्प मचा हुआ है। प्रदेश के आयुर्वेदिक एवं यूनानी व होम्योपैथी मेडिकल कॉलेजों में तमाम छात्रों ने हेराफेरी कर दाखिला ले लिया था। आयुष विभाग की जांच में गलत तरीके से दाखिला लेने वाले ये सभी छात्र चिन्हित किए गए हैं।
अब सभी सरकारी कॉलेजों के प्रधानाचार्य ने अपने वहां के ऐसे छात्रों को निलंबित कर दिया है, वहीं निजी कॉलेजों के छात्रों के खिलाफ निलम्बन की कार्रवाई चल रही है। लगभग 10 निजी कॉलेजों ने छात्रों को निलंबित करने की सूचना आयुष विभाग में भेज दी है जबकि अन्य की रिपोर्ट अभी पहुंचना बाकी है. जल्द ही यह रिपोर्ट विभाग में पहुंचने की उम्मीद है। इस सख्त एक्शन के बाद छात्रों के परिजन अपने बच्चों पर कार्रवाई के भय से डरे हुए हैं। हालांकि सूत्रों के मुताबिक अभी छात्रों के खिलाफ किसी तरह की तरह की कार्रवाई नहीं होगी। जांच पड़ताल के बाद ही मामले में नियमानुसार कदम उठाया जाएगा।
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इस प्रकरण में अब तक कार्यवाहक निदेशक, आयुर्वेद सेवाएं (सदस्य सचिव काउंसिलिंग मूल पद प्रिसिंपल) प्रो. डॉ. एसएन सिंह व प्रभारी अधिकारी शिक्षा निदेशालय, आयुर्वेद सेवाएं (मूल पद प्रोफसर राजकीय आयुर्वेद मेडिकल कालेज, लखनऊ) डॉ. उमाकांत यादव को निलंबित कर दिया गया है। इसके अलावा प्रभारी अधिकारी यूनानी निदेशालय डॉ. मोहम्मद वसीम और कार्यवाहक संयुक्त निदेशक शिक्षण होम्योपैथी निदेशालय प्रो. विजय पुष्कर के विरुद्ध विभागीय कार्यवाही शुरू की गई है।