कोलकाता: उत्तर 24 परगना जिले के दत्तपुकुर शहर में रविवार को एक अवैध पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट में कम से कम 7 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। पुलिस ने कहा कि विस्फोट स्थल पर बचाव अभियान चल रहा है। एक अधिकारी ने बताया कि विस्फोट सुबह करीब 10 बजे हुआ जब कोलकाता से लगभग 30 किलोमीटर उत्तर में दत्तपुकुर पुलिस थाना क्षेत्र में नीलगंज के मोशपोल में कई लोग कारखाने में काम कर रहे थे। फायर स्टेशन अधिकारी आशीष घोष ने कहा, ‘अब तक पांच शव बरामद किए गए हैं। हादसे में घायल हुए लोगों को इलाज के लिए नजदीकी बारासात अस्पताल में भर्ती कराया गया है।’

बताया जा रहा है कि उच्च तीव्रता वाले विस्फोट में आसपास के घर भी क्षतिग्रस्त हो गए। धमाके की खबर मिलते ही बड़ी संख्या में पुलिस बल मौके पर पहुंच गया। पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता और बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी ने घटना पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए न्यूज एजेंसी एनआई से कहा, ‘सिर्फ इस फैक्ट्री में ही नहीं, बल्कि पूरे राज्य में ऐसा माहौल है। मुख्यमंत्री (ममता बनर्जी) ने कहा था कि इन अवैध कारखानों को बंद कर दिया जाएगा, लेकिन वह चोरों को बचाने में व्यस्त हैं… उनका काम राज्य में इमामों के साथ बैठकें करना और सांप्रदायिक कार्ड खेलना है।’

उन्होंने ट्वीट किया, ‘एक और सामान्य दिन पश्चिम बंगाल में एक और विस्फोट। इस बार उत्तर 24 परगना जिले के दत्तपुकुर में हुआ है। अब भी शवों की गिनती की जा रही है, संभवतः 10 से अधिक शव होंगे। पूर्ब मेदिनीपुर के खड़ीकुल गांव में इस साल 16 मई को टीएमसी के भानु बाग द्वारा संचालित बम बनाने वाली फैक्ट्री में विस्फोट हुआ था, जिसमें एक दर्जन लोगों की जान चली गई थी। तब पश्चिम बंगाल की तृणमूल सरकार ने पटाखा उद्योग को नियंत्रित करने के बारे में बड़े दावे किए थे। ऐसा लगता है कि यह उस समय तनाव और सार्वजनिक आक्रोश को शांत करने के लिए महज एक प्रचार स्टंट था।’

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दत्तापुकुर में अवैध पटाखा फैक्ट्री में हुए धमाके पर कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, ‘जिस मात्रा में विस्फोटक मिले हैं उससे साफ है कि बंगाल सरकार ने विस्फोटकों को जहां चाहे इस्तेमाल करने की इजाजत दे दी है। यहां सबको अपना अवैध व्यवसाय चलाने की पूर्ण स्वतंत्रता है। परिणामस्वरूप राज्य में मौतों और विस्फोटों की एक श्रृंखला हुई है। यह बंगाल सरकार की विफलता को दर्शाता है। जब विस्फोट होता है, तो हमें पता चलता है कि कोई मर गया है। उसके बाद, हर कोई शांत हो जाता है और अवैध कारोबार चलता रहता है। क्योंकि सरकार चुप रहना पसंद करती है और आम आदमी को भुगतान करना पड़ता है।’

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